
पाकुड़, झारखंड
वंदे मातरम् के 150 गौरवशाली वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में पाकुड़ पॉलिटेक्निक में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ममता जायसवाल की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय चेतना और देशभक्ति से ओत-प्रोत इस अवसर पर छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के सामूहिक गायन से हुई। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह अमर गीत स्वतंत्रता संग्राम की धड़कन रहा है, जिसने करोड़ों भारतीयों के मन में राष्ट्रप्रेम की अलख जगाई।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि राष्ट्र की एकता, मातृभूमि के प्रति समर्पण और बलिदान की भावना का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारी जब फांसी के तख्ते पर जाते थे, तो उनके होठों पर यही गीत होता था। जेलों की काल कोठरी भी जब इस गीत से गूँजती थी, तब अंग्रेजी शासन भयभीत हो उठता था।
राष्ट्रगीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर छात्रों और कर्मचारियों ने कॉलेज परिसर से बाहर सार्वजनिक स्थल पर वंदे मातरम् का सामूहिक गायन कर इसे उत्सव के रूप में मनाया। कार्यक्रम में देशभक्ति, एकता और जागरूक नागरिकता का संदेश दिया गया।
ममता जायसवाल रिपोर्ट















