
पाकुड़, झारखंड
पाकुड़ जिले के सोनाजोड़ी गांव के श्री सैमुअल मुर्मू ने राज्य सरकार की मत्स्य विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण योजना का लाभ लेकर बंद पड़े खदान को आजीविका का साधन बना दिया है। उन्होंने पारंपरिक तालाब की बजाय केज कल्चर तकनीक अपनाकर आत्मनिर्भरता की नई मिसाल पेश की है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 में श्री मुर्मू को ₹3,58,000 की परियोजना लागत पर ₹3,22,200 की अनुदान राशि स्वीकृत की गई। इस सहायता से उन्होंने आधुनिक केज प्रणाली विकसित कर मछली पालन शुरू किया। वर्तमान में वे हर वर्ष लगभग 5,000 किलो मछली का उत्पादन कर ₹4 लाख से अधिक की आय अर्जित कर रहे हैं।
श्री मुर्मू ने बताया कि पहले उनके परिवार की आमदनी सीमित थी, लेकिन सरकार की योजना से जुड़ने के बाद आर्थिक स्थिरता और आत्मनिर्भरता दोनों प्राप्त हुईं। अब वे आसपास के ग्रामीणों को भी इस तकनीक से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
जिला मत्स्य पदाधिकारी श्रीमती काजल तिर्की ने कहा कि श्री सैमुअल मुर्मू का प्रयास ग्रामीण आजीविका सशक्तिकरण का उत्कृष्ट उदाहरण है। बंद पड़े खदान में केज प्रणाली से मछली पालन न सिर्फ एक नवाचार है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने वाला प्रेरक मॉडल भी है।
ममता जायसवाल रिपोर्ट















